वाराणसी रोपवे: काशी के यातायात में क्रांतिकारी बदलाव

भूमिका

वाराणसी, जिसे काशी और बनारस के नाम से भी जाना जाता है, साथ ही ‘वाराणसी रोपवे’ के साथ बनारस को एक और नए पहचान भी मिलेगे, भारत की प्राचीनतम धार्मिक और सांस्कृतिक नगरी है। गंगा के किनारे बसे इस शहर में हर दिन लाखों श्रद्धालु, पर्यटक और स्थानीय लोग आते-जाते हैं, जिससे यहाँ की सड़कों पर अत्यधिक भीड़ होती है। ‘वाराणसी रोपवे’ से भीड़भाड़ को कम करने और आवागमन को सुगम बनाने के लिए वाराणसी में भारत का पहला सार्वजनिक परिवहन रोपवे (एरियल ट्रांजिट सिस्टम) ‘वाराणसी रोपवे बनाया जा रहा है।

रोपवे परियोजना का परिचय

वाराणसी रोपवे परियोजना उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार द्वारा संयुक्त रूप से चलाई जा रही एक महत्वाकांक्षी योजना है। इसका उद्देश्य वाराणसी रोपवे के माध्यम से शहर के महत्वपूर्ण स्थानों को जोड़ते हुए सरल और आधुनिक परिवहन सुविधा उपलब्ध कराना है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • स्थान: वाराणसी, उत्तर प्रदेश
  • मार्ग: कैंट रेलवे स्टेशन से गोदौलिया तक
  • लंबाई: लगभग 3.8 किलोमीटर
  • स्टेशन: कुल 5 स्टेशन होंगे
  • गति: लगभग 21 किलोमीटर प्रति घंटा
  • यात्रा का समय: लगभग 16 मिनट
  • क्षमता: लगभग हर घंटे 3,000 यात्री यात्रा कर सकेंगे
वाराणसी रोपवे का मार्ग और स्टेशन

इस रोपवे परियोजना के अंतर्गत वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन से लेकर गोदौलिया तक का सफर तय किया जाएगा। इस मार्ग में कुल 5 स्टेशन होंगे:

  1. वाराणसी कैंट (शुरुआती स्टेशन)
  2. सिगरा
  3. बेनीबाग
  4. रथयात्रा
  5. गोदौलिया (अंतिम स्टेशन)

गोदौलिया क्षेत्र वाराणसी का प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल है, जहाँ काशी विश्वनाथ मंदिर और दशाश्वमेध घाट स्थित हैं।

रोपवे से होने वाले लाभ

1. ट्रैफिक जाम से राहत

वाराणसी की संकरी गलियों और भीड़भाड़ वाले सड़कों पर प्रतिदिन हजारों वाहन चलते हैं, जिससे भारी ट्रैफिक जाम की समस्या होती है। रोपवे के शुरू होने से सड़क पर वाहनों का दबाव कम होगा और लोग कम समय में अपने गंतव्य तक पहुँच सकेंगे।

2. पर्यटन को बढ़ावा
वाराणसी में देश-विदेश से लाखों पर्यटक प्रतिवर्ष आते हैं। रोपवे के माध्यम से वे जल्दी और आरामदायक तरीके से शहर के महत्वपूर्ण स्थानों तक पहुँच सकेंगे, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

3. पर्यावरण के लिए अनुकूल

रोपवे प्रणाली बिजली से संचालित होगी, जिससे यह प्रदूषण मुक्त परिवहन प्रणाली होगी। इससे पर्यावरण को कोई हानि नहीं होगी और शहर में ध्वनि और वायु प्रदूषण कम होगा।

4. समय और ईंधन की बचत

वर्तमान में वाराणसी कैंट से गोदौलिया तक सड़क मार्ग से जाने में लगभग 45 मिनट से 1 घंटे का समय लगता है, जबकि रोपवे से यह दूरी मात्र लगभग 16 मिनट में तय की जा सकेगी। इससे ईंधन की बचत भी होगी।

रोपवे का किराया और टिकट व्यवस्था

यात्रियों की सुविधा के लिए ई-टिकटिंग और डिजिटल पेमेंट की सुविधा उपलब्ध होगी। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, प्रति व्यक्ति टिकट शुल्क लगभग ₹100 से ₹150 के बीच हो सकता है।

उद्देश्य

वाराणसी में रोपवे (एरियल ट्रांजिट सिस्टम) एक महत्वपूर्ण परिवहन परियोजना है, जिसका उद्देश्य शहर के यातायात को सरल बनाना और पर्यटन को बढ़ावा देना है। वाराणसी रोपवे परियोजना शहर के यातायात को सुगम बनाने और आधुनिक परिवहन प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल ट्रैफिक जाम की समस्या को कम करेगा, बल्कि पर्यटन और पर्यावरण के लिए भी लाभकारी सिद्ध होगा। इस रोपवे के शुरू होने से वाराणसी आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक तेजी से अपने गंतव्य तक पहुँच सकेंगे और शहर के धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व का आनंद ले सकेंगे।इस रोपवे से वाराणसी के प्रमुख पर्यटन स्थलों तक पहुँचने में आसानी होगी और सड़क पर यातायात जाम की समस्या कम होगी।

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